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एक ऐतिहासिक पल: मानव मंदिर मिशन के प्रणेता आचार्य श्री रूपचंद्र जी महाराज एवं संस्कार प्रणेता आचार्य श्री 108 सौरभ सागर जी महाराज का संयुक्त प्रवचन।

मानव मंदिर मिशन में पूज्य आचार्य श्री 108 सौरभ सागर जी महाराज का आगमन हुआ, पूरे परिसर में आनंद की लहर थी। पूज्य अरुण योगी जी ने आचार्यश्री जी का स्वागत करते हुए कार्यक्रम प्रारंभ किया। बेहद ही खूबसूरत नजारा था संत का संत से मिलन हुआ, और एक ऐतिहासिक पल भी था कि मानव मंदिर मिशन के संस्थापक परम पूज्य आचार्य श्री रूपचंद्र जी महाराज एवं परम पूज्य आचार्य श्री सौरभ सागर जी महाराज का संयुक्त प्रवचन से सब धन्य हुए। पूज्य आचार्य श्री रूपचंद्र जी महाराज ने आचार्य श्री जी का सौहार्दपूर्ण स्वागत किया व जैन संघ को एकता का महत्व याद दिलाया, और अनेकों मुक्तक भी फरमाए जो एक मंत्र का काम करते हैं जिन्हें अगर मनुष्य अपने जीवन में उतारे तो उसका जीवन सफल हो सकता है।
वहीं दूसरी ओर परम पूज्य आचार्य श्री 108 सौरभ सागर जी महाराज ने भी एकता के महत्व पर जन समुदाय को संबोधित किया, आप पूज्य गुरुदेव रूपचंद्र जी महाराज एवं मानव मंदिर के स्वागत से बेहद प्रसन्न थे। आचार्य श्री जी ने बताया कि जिस प्रकार श्रावक से श्रावक का मिलन होने पर संस्कार बढ़ता है उसी प्रकार जब संत से संत का मिलन होता है तो संस्कृति का ही विस्तार होता है।

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