**उपरोक्त अंश नव भारत टाइम्स (एनबीटी) से लिए गए हैं, जो समय-समय पर ‘द स्पीकिंग ट्री’ खंड के अंतर्गत प्रकाशित होते हैं।
लेख
पूज्य गुरुदेव जी संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती, राजस्थानी आदि अनेक भाषाओं के ज्ञाता हैं। आपने दर्शन, मनोविज्ञान, विज्ञान, समाज शास्त्र तथा समस्त धर्मों के विविध स्त्रोतों का अध्ययन करके अपनी साधना से समन्वित उनका सार संक्षेप लोक-समुदाय के समक्ष सुगम शैली में प्रस्तुत किया है।