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अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले एवं राम मंदिर के लिए 1858 में पहली ईंट रखने वाले निहंग सिखों की 8वीं पीढ़ी के बाबा हरजीत सिंह जी रसूलपुर का मानव मंदिर आगमन हुआ –

राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले निहंग बाबा फतेह सिंह की 8वीं पीढ़ी के बाबा हरजीत सिंह जी रसूलपुर का मानव मंदिर आगमन हुआ। बाबाजी ने अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के अवसर पर 8 जनवरी से दुनिया भर से आने वाले भक्तों की सेवा के लिए ‘लंगर सेवा’ का आयोजन किया जो अभी भी अनवरत चल रहा है और इसे अब तक करोड़ों लोगों ने छका है। बाबा हरजीत सिंह के अनुसार, वो अपने पूर्वज बाबा फकीर सिंह खालसा की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए ऐसा कर रहे हैं, जिन्होंने 165 साल पहले निहंग सिखों के एक दल के साथ बाबरी मस्जिद में घुसकर ‘श्री राम जी ‘ का प्रतीक स्थापित किया था। इस घटना को राम मंदिर आंदोलन में दर्ज होने वाली पहली एफआईआर के रूप में दर्ज किया गया था और 2019 में सुप्रीम कोर्ट के 1,045 पेज के फैसले में मुख्य सबूत के रूप में काम किया गया था। यह सिखों द्वारा भगवान राम के प्रति अगाध श्रद्धा और अयोध्या के लिए अनूठी निष्ठा का प्रतीक है। मानव मंदिर पधारने पर गुरुकुल की बालिकाओं द्वारा तिलक किया गया और पूज्य श्री अरुण योगी जी एवं सरदार बलदेव सिंह जी ढिल्लो द्वारा पुष्पमालाओ के साथ बाबाजी और उनके शिष्यों का स्वागत किया गया। श्री अरुण योगी जी द्वारा सर्वप्रथम बाबाजी को ध्यान मंदिर में लगे चित्रों के माध्यम से पूज्य गुरुदेव जी की जीवन यात्रा का अवलोकन कराया गया उसके पश्चात पूरे मानव मंदिर परिसर का भ्रमण कराया गया। बाबा हरजीत सिंह जी ने पूज्य आचार्य श्री रूपचन्द्र जी महाराज से भेंट की और इस अवसर पर साध्वी कनकलता जी ,साध्वी समताश्री जी और श्री अरूण योगी जी के साथ मानव मंदिर का पूरा परिवार उपस्थित था। गुरुदेव जी ने अपने आशीर्वाद स्वरूप विशेष अंगवस्त्रम ओढा कर उनको आशीर्वाद दिया। बाबाजी ने गुरुदेव जी के चरणों में मत्था टेका और और आग्रह किया की ऐसे ही आशीर्वाद बनाए रखिए जिससे मैं अपने मिशन में कामयाब होता रहूँ। गुरुदेव जी ने कहा मानव मंदिर मिशन हमेशा आपके साथ है। पूज्य गुरुदेव जी से मिलकर बाबा हरजीत सिंह जी गदगद हो गए।

जब भी दो संतो का मिलन होता है तो वातावरण में उत्साह और नवचेतना का संचार हो जाता है जिसका अनुभव यहां पर उपस्थित सभी लोगो ने किया। इस अवसर पर गुरुकुल की छात्रा दिव्या ने बाबाजी जी को अपनी मधुर आवाज में भजन सुनाए जिसे सुनकर उपस्थित सभी लोग मंत्रमुग्ध हो गए। श्री अरूण योगी जी ने बाबाजी को गुरुदेव जी के द्वारा लिखित पुस्तकें भेंट की। यह दो समुदायों का मिलन ऐतिहासिक रहा। बाबा जी का पूज्य श्री अरुण योगी जी के साथ बहुत गहरा आध्यात्मिक संबंध है और इसी वजह से बाबाजी का मानव मंदिर आगमन हुआ।

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