
















महावीर की अहिंसा और गीता के आदर्श में कोई अंतर्विरोध नहीं : गीतामनीषी ज्ञानानंद जी महराज
प्रतिदिन गीता के एक श्लोक का मनन करें : आचार्य श्री रूपचन्द्र जी महराज
जो अहिंसा में स्थित है, वही कृष्ण को प्रिय है : अरुण प्रकाश
नई दिल्ली। गीता ज्ञान को हर जीवन का गीत बनाने के महाभियान के प्रणेता श्रीकृष्णकृपाधाम पीठाधीश्वर, गीता मनीषी ज्ञानानंद जी महराज का मानव मंदिर परिसर में आगमन हुआ। जहां उन्होंने मानव मंदिर मिशन के संस्थापक महामनीषी पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री रूपचन्द्र जी महराज के साथ संत-संवाद में भी सान्निध्य प्रदान किया। संत-संवाद का विषय ‘महावीर की अहिंसा और गीता का युद्ध’ था।
गीतामनीषी जी ने इस अवसर पर गीता और महावीर के चिंतन की एकात्मकता को उल्लिखित किया। उन्होंने कहा कि महावीर की अहिंसा और गीता के आदर्श में कोई अंतर्विरोध नहीं है। इस अवसर पर उन्होंने आचार्यश्री रूपचन्द्र जी महराज के त्याग, तप और आदर्श को वरेण्य बताया। साथ ही उन्होंने मानव मंदिर मिशन के कार्यों की प्रशंसा की। इससे पूर्व धर्म-दर्शन के विद्वान डॉ. अरुण प्रकाश जी ने महावीर की अहिंसा और गीता के युद्ध विषयक वैदुष्यपूर्ण विमर्श प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने अपने संदर्भों से यह बताया कि गीता अहिंसा के आदर्श को नकारती नहीं है, बल्कि जो सबको समभाव से देखता है, और मैत्री व करुणा से भरा हुआ है वही कृष्ण को प्रिय है। वहीं महावीर की अहिंसा में आत्मरक्षा का उल्लंघन स्वीकार्य नहीं है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री रूपचन्द्र जी महराज ने पूज्यपाद गीता मनीषी जी का आत्मीय आभार किया और गीता ज्ञान संस्थान व जीयो गीता के माध्यम से हो रहे कार्यों प्रशंसा की। उन्होंने इस अवसर पर आह्वान किया कि सबको गीता पढ़नी चाहिए और हर दिन एक श्लोक का मनन करना चाहिए। कार्यक्रम का प्रबंधन मानव मंदिर मिशन न्यास की निदेशक और न्यासी साध्वी कनकलता जी ने किया और कार्यक्रम का संयोजन व संचालन मानव मंदिर मिशन न्यास के निदेशक और न्यासी श्री अरुण योगी जी ने किया। इस दौरान मानव मंदिर मिशन न्यास की निदेशक और न्यासी साध्वी समताश्री महराज ने न्यास की संकल्पना और उसके प्रकल्पों के बारे में जानकारी दी।
कार्यक्रम में मानव मंदिर मिशन के न्यासी श्री सुभाष चंद्र तिवारी जी, हिसार की पूर्व मेयर श्रीमती शाकुन्तला राजलीवालजी, मानव मंदिर फाउंडेशन के ट्रस्टी-श्री शंकर गोयनका, आंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रोफेसर आनंदवर्धन, जामिया के डॉ. अमित सिंह, फ्रेंड्स ऑफ यमुना के अध्यक्ष अशोक उपाध्याय, लेखक ओम प्रकाश सिंह, मानव मंदिर सुनाम (पंजाब) से अशोक गुप्ता व चंद्रप्रकाश सिंगला, सहित कई गीतानुरागी व विद्वान उपस्थिति रहे।