आदमी अब जानवर की सरल परिभाषा बना है,
भस्म करने विश्व को वह आज दुर्वासा बना है,
क्या ज़रूरत है राक्षसों के चूसने की इंसान को,
जब आदमी ही आदमी के खून का प्यासा बना है।
आदमी अब जानवर की सरल परिभाषा बना है,
भस्म करने विश्व को वह आज दुर्वासा बना है,
क्या ज़रूरत है राक्षसों के चूसने की इंसान को,
जब आदमी ही आदमी के खून का प्यासा बना है।