आदमी की शक्ल से अब डर रहा है आदमी,
आदमी को लूटकर घर भर रहा है आदमी,
आदमी ही मारता है मर रहा है आदमी,
समझ कुछ आता नहीं क्या कर रहा है आदमी।
आदमी की शक्ल से अब डर रहा है आदमी,
आदमी को लूटकर घर भर रहा है आदमी,
आदमी ही मारता है मर रहा है आदमी,
समझ कुछ आता नहीं क्या कर रहा है आदमी।