हर किश्ती के साथ सौ-सौ अरमान होते हैं,
हर अरमान के साथ सौ-सौ तूफान होते हैं,
जो कुचलकर बढ़ जाए तूफानों की छाती को,
धरती पर केवल वे ही इंसान होते हैं।
हर किश्ती के साथ सौ-सौ अरमान होते हैं,
हर अरमान के साथ सौ-सौ तूफान होते हैं,
जो कुचलकर बढ़ जाए तूफानों की छाती को,
धरती पर केवल वे ही इंसान होते हैं।