





“हमारी भाषा, हमारी पहचान!” – इसी भावना को साकार करने हेतु उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली द्वारा हर वर्ष गर्मियों की छुट्टियों में गढ़वाली, कुमाउनी और जौनसारी जैसी लोक-भाषाओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है।
इसी क्रम में आचार्यश्री रूपचन्द्र वर्चुअल शिक्षण प्रकल्प, आर. के. पुरम, नई दिल्ली केंद्र पर भी इन कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है। इन कक्षाओं का संचालन श्रीमती इंदु सकलानी जी के मार्गदर्शन में हो रहा है, जो बच्चों और युवाओं को लोकभाषा के महत्व से परिचित करा रही हैं।
यह प्रयास न केवल हमारी भाषाई धरोहर को जीवित रखने की दिशा में एक सशक्त कदम है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को अपनी संस्कृति से जोड़ने का माध्यम भी बन रहा है।