पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री रूपचंद्रजी महाराज की संस्था मानव मंदिर मिशन के अधीन संचालित “रूपांतरण योग” द्वारा भारत सरकार के केंद्रीय विश्वविद्यालय – लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में “ब्रह्म क्रिया” और रूपांतरण योग ध्यान का विशेष सत्र आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति माननीय श्री मुरलीमनोहर पाठक जी के विशेष अनुरोध पर हुआ, जो भारतीय संस्कृति और ध्यान के महत्व को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
कार्यक्रम में योगीजी ने प्रतिभागियों को “ब्रह्म क्रिया” और ध्यान के महत्व और तकनीकों के बारे में गहन प्रशिक्षण दिया। यह विधि न केवल शरीर को शांति देती है, बल्कि आत्मा को भी शुद्ध करती है और जीवन में सकारात्मकता को बढ़ावा देती है। योगीजी के सरल और सजीव शिक्षण शैली ने सभी को ध्यान के वास्तविक अनुभव से अवगत कराया। सभी प्रतिभागियों ने गहरे ध्यान में उतरने का अद्भुत अनुभव किया और इसे जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित हुए।
कार्यक्रम के दौरान दिव्या जी ने अपने मधुर भजनों से माहौल को और भी आध्यात्मिक और शांति-मय बना दिया। उनकी गायकी में भक्ति और प्रेम का अद्भुत संयोग दिखा, जिसने सभी के मन में गुरुदेव जी के प्रति और भी आस्था बढ़ाई।
आकांक्षा और शिवांग ने पूरे कार्यक्रम की व्यवस्थाओं का संचालन अत्यंत दक्षता और समर्पण के साथ किया, जिससे आयोजन में अनुशासन और शांति बनी रही। उनकी इस व्यवस्थित योजना और प्रबंधन की सभी ने सराहना की, और यह उनके समर्पण और गुरुदेव जी की शिक्षा का ही परिणाम था।
इस विशेष सत्र में विश्वविद्यालय के कई प्रबुद्ध विद्वान, अध्यापक और छात्रों ने भाग लिया। बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति ने यह दर्शाया कि रूपांतरण योग और “ब्रह्म क्रिया” जैसी विधियाँ आज के समाज में कितनी प्रासंगिक और आवश्यक हैं।
गुरुदेव जी की कृपा और शिक्षाओं के कारण यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।