
साध्वी श्री सरिता गिरी जी महाराज के महामंडलेश्वर पट्टाभिषेक के पावन अवसर पर आयोजित इस भव्य आध्यात्मिक समारोह में परम पूज्य जैनाचार्य श्री रूपचंद्र जी महाराज के सुशिष्य एवं मानव मंदिर मिशन के ट्रस्टी व निदेशक आदरणीय श्री अरुण योगी जी म. ने विशेष उद्बोधन दिया।
श्री योगी जी ने समारोह में पधारे सभी पूज्य संत-महापुरुषों को नमन करते हुए साध्वी श्री सरिता गिरीजी को शौल अर्पण द्वारा अभिनंदित किया। उन्होंने अपने भावगर्भित वक्तव्य में कहा—
“आज के इस भौतिक और प्रदूषित युग में जहाँ चारों ओर अवसाद, लालसा और भटकाव है, वहीं इस मंच पर मुझे एक आध्यात्मिक गंगा प्रवाहित होती प्रतीत हो रही है। साध्वी सरिता गिरी जी वास्तव में ज्ञान की सरिता बनकर हमारे समाज को दिशा देंगी।”
योगी जी ने विशेष रूप से यह उल्लेख किया कि—
“एक प्रतिष्ठित अधिवक्ता के रूप में उच्च न्यायालय में सेवा करने वाली साध्वी जी ने जब सन्यास को चुना और आज महामंडलेश्वर के रूप में अभिषिक्त हुई हैं, तो यह समर्पण और वैराग्य का ऐसा आदर्श प्रस्तुत करता है जो आज के युवाओं के लिए अत्यंत प्रेरणादायक है। यदि हमारी युवा पीढ़ी इस मार्ग को अपनाए, तो निस्संदेह भारत फिर से विश्वगुरु के रूप में प्रतिष्ठित होगा।”
इस अवसर पर मंच पर विराजमान पूज्य संतों में प्रमुख रूप से:
- महंत श्री रविंद्र पुरी जी महाराज – अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष
- आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज – विश्वविख्यात शिवोपासक, जो तप, साधना और सनातन सेवा के विलक्षण प्रतीक हैं
- महंत श्री राम रतन गिरी जी महाराज
- महंत श्री शिव वन जी महाराज
- तथा इस आयोजन के प्रमुख संयोजक व प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित श्री पी. के. शास्त्री जी उपस्थित रहे।
योगी जी ने विशेष रूप से आचार्य कैलाशानंद गिरि जी का उल्लेख करते हुए कहा:
“आपका तप, आपकी शिवभक्ति, और आपकी साधना की ऊँचाई आज के युवा जगत के लिए एक प्रकाश स्तंभ बन चुकी है। आप न केवल भारत में, बल्कि संपूर्ण विश्व में सनातन संस्कृति के संवाहक के रूप में युवाओं को साधना की राह पर प्रेरित कर रहे हैं।”
मंच पर उपस्थित संतों ने कहा कि—
मानव मंदिर मिशन, जो सेवा, शिक्षा और योग-साधना के क्षेत्र में एक वैश्विक संकल्पना को मूर्त रूप दे रहा है, उसकी कार्यशैली और उद्देश्य की हम सभी संत भूरी-भूरी सराहना करते हैं। विशेषकर पूज्य कैलासनंद गिरि जी और रविंद्र पुरी जी महाराज ने स्वयं मानव मंदिर मिशन में पधारकर पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री रूपचंद्र जी महाराज से आध्यात्मिक संवाद और मिलन का वचन दिया, जो मिशन के लिए एक नई ऊर्जा का संचार है।