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जिस दिन हम खुद से जुड़ गए परमात्मा से स्वयं जुड़ जाएंगे

जीवन में आगे बढ़ने के लिए किसी न किसी विश्वास की जरूरत होती है। विश्वास ही संबल होता है कि किस पर विश्वास? इसे समझना बहुत जरूरी है। इसलिए कि आदमी इसी दोराहे पर आकर भटक जाता है। सही विश्वास जहां ठीक लक्ष्य की ओर ले जाता है, वहीं गलत विश्वास उम्र-भर के लिए भटका देता है। विश्वास का निर्णय करते समय अक्सर हम दूसरे पर भरोसा कर लेते हैं। किसी पंथ या संप्रदाय को पकड़ लेते हैं। गुरु के नाम पर किसी व्यक्ति-विशेष से बंध जाते हैं। परिणाम स्पष्ट है। वे व्यक्ति या संप्रदाय अक्सर उस श्रद्धा और विश्वास का शोषण करने लगते हैं। हर महापुरुष ने यही कहा है- तुम अपने आप पर विश्वास करो। भगवान बुद्ध ने कहा- ‘स्वयं दीपक बनो।’

महावीर ने कहा- ‘अपने से सत्य की खोज करो। सत्य को पाना अपने आप को पाना है। अपने को पाना ही सत्य को पाना है। अपने को खोना सत्य को खोना है। इसलिए तुम अपने से जुड़ो।’ लेकिन हमारी मुश्किल तो यह है कि जागने से लेकर सोने तक पत्नी, बच्चे, परिवार, दोस्त, धन, नौकरी और व्यापार से तो पूरी तरह से जुड़े हैं, किंतु अपने आप से नहीं। जागृत अवस्था की बात तो दूर है, सपने में भी बाहर-बाहर ही भटकते रहते हैं। व्यस्तता-बहुल इस जीवन में अपने से जुड़ने का एक क्षण भी उपलब्ध कहां है? यदि सौभाग्य से वैसे क्षण मिल भी जाएं तो लोग टीवी, रेडियो को ऑन कर उसके साथ हो लेते हैं। उन क्षणों में भी अपने साथ नहीं होते। परिवार और समाज, दुनिया भर की बहसों, हजारों की कुद्ध भीड़ के आमने-सामने होना भले ही आसान है, लेकिन अपने सामने खड़ा होना बहुत कठिन है। भगवान महावीर ने कहा- वीर वह है जो अपने पर विजय प्राप्त कर लें।

लाखों योद्धाओं पर विजय पाना सरल है, किंतु कठिन है अपने आप पर विजय प्राप्त करना। यह कठिन इसलिए है कि हमें स्वयं पर विश्वास नहीं है। हमारा धन पर, मित्र पर विश्वास है कि ये समय पर हमारे काम आएंगे, जबकि हम अच्छी तरह जानते हैं कि समय पर अपना विश्वास ही काम आता है। हर कोई कहता है कि भगवान पर विश्वास करो। लेकिन है कहां भागवान? हर धर्म-संप्रदाय कहता है- परमात्मा तुम्हारे अंदर है। भगवान पर विश्वास करने का मतलब यही है कि हम अपने पर विश्वास करें। हर महापुरुष ने मनुष्य के आत्मविश्वास को जगाने की कोशिश की है ताकि वह अपने पर विश्वास करना सीखे। जिस दिन हम खुद से जुड़ गए, परमात्मा से स्वयं जुड़ जाएंगे। अपने से जुड़ गए तो समझो पूरे संसार से जुड़ गए।

-आचार्य रूपचन्द्र

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